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कोर्ट में इसी तरह का एक और मामला दिखा। यहां 2014 में चेक बाउंस होने का मामला चल रहा था। जिस व्यक्ति के खिलाफ केस चल रहा था उसे 22 हजार रुपये देने थे। बुधवार को इस शख्स ने कैश देकर मामले में तुरंत समझौता करने का ऑफर दिया। दोनों पार्टियां इसके लिए तैयार हो गईं। हालांकि जब दूसरी पार्टी ने देखा कि सारे नोट 500 रुपये के हैं तो उसने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। बाद में जज ने कर्जदार से पूछा कि उसने कर्ज चुकाने के लिए यही दिन क्यों चुना?
वहीं, अहमदाबाद बार काउंसिल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से निवेदन किया कि वह वकीलों और मुकदमेबाजों को फिलहाल फीस लिए बिना केस फाइल करने की छूट दें। बदले में उनसे एक अंडरटेकिंग ली जाए कि वे बाद में पेमेंट कर देंगे।
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