नए साल की पूर्व संध्या पर देश के नाम पीएम मोदी के संबोधन में कई नई योजनाओं की घोषणा की। वहीं विपक्ष ने पीएम के संबोधन को ‘बजट भाषण’ करार दिया। कांग्रेस ने कहा कि पीएम के संबोधन में कई सवालों का कोई जवाब नहीं मिला। पार्टी ने नोटबंदी के बाद कैश निकालने पर लगी रोक वापस लेने की मांग की है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि ऐसा शायद पहली बार हो रहा है कि बजट स्पीच संसद के बाहर दी गई? मनीष तिवारी ने ट्वीट में लिखा कि अब 1 फरवरी को अपने भाषण में जेटली क्या बोलेंगे। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इसे संसद की अवमानना नहीं माना जाना चाहिए?
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने प्रधानमंत्री के भाषण को प्रवचन बताते हुए कटाक्ष किया। येचुरी ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि वित्त मंत्री के पास कोई काम नहीं बचा है क्योंकि बजच की स्पीच तो पीएम दे चुके हैं।’ उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘पूरे 45 मिनट के भाषण में से 30 मिनट तक तो पीएम प्रवचन ही देते रहे।’
सलमान खुर्शीद ने कहा, ‘मुझे तो बजट स्पीच लग रहा था। अब अरुण जेटली बजट में क्या पढ़ेंगे ये बड़ा सवाल है’
सुरजेवाला ने कहा कि हम एक बार फिर नोटबंदी के बाद तय नकदी निकालने की सीमा बढ़ाने की मांग कर करते हैं। सुरजेवाला ने कहा, ‘किसानों का हाल बेहाल है, उनकी लागत तक नहीं निकली है।’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी पीएम मोदी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, ‘पीएम ने वित्त मंत्री के पद को भी लेते हुए प्री-बजट स्पीच दे दिया।’
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा, ‘जैसा बजट भाषण होता है वैसे ही भाषण था, एक जिक्र नहीं था की कितना काला धन आया।’