इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि इन कैंपों में 500 से ज्यादा आतंकवादी हैं जिनमें ज्यादातर लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन के हैं। इंटेलिजेंस रिपोर्ट का हवाला देते हुए एक अधिकारी ने बताया कि सबसे ज्यादा 300 आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा के हैं। रिपोर्ट को पूरी तरह विश्वसनीय बताते हुए अधिकारियों ने कहा है कि इसे पश्चिमी एजेंसियों की मदद से तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि मुजफ्फराबाद में तीन ऐसे कैंप, पीर चनासी, अक्शा मस्कर और ताबुक में मौजूद थे।
काउंटर इंटेलिजेंस जासूसों ने बताया कि इन कैंपों में देर रात 2.30 बजे से ही गतिविधियां शुरू हो जाती हैं, यहां नए लड़कों को कड़ी शारीरिक ट्रेनिंग दी जाती है। रात 10 बजे ‘इशा की नमाज’ के साथ इन कैंपों की गतिविधियां समाप्त होती हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, इन कैंपों को अलग-अलग काम दिए जाते हैं और ट्रेनिंग मैन्युअल को यहां तीन टुकड़ों में बांटा गया है। काउंटर इंटेलिजेंस जासूस ने बताया, ‘ पकड़े गए आतंकवादियों से की जाने वाली पूछताछ के आधार पर हमें पता चला है कि लॉन्च पैड पर ले जाए जाने से पहले एक आतंकवादी को तीन तरह की ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है – दौरा-ए-तलबा (बेसिक ट्रेनिंग), दौरा-ए-आम (शारीरिक ट्रेनिंग) और दौरा-ए-खास (हथियारों की ट्रेनिंग)।
एलओसी पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद खौफजदा पाकिस्तान ने बार्डर के लगभग 300 गांव भी खाली करा दिए हैं।