गाय को राष्ट्रीय पशु बनाए जाने की वकालत करने वाले जज ने कहा ‘मोर कभी सेक्स नहीं करता इसीलिए है राष्ट्रीय पक्षी है’

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जयपुर : गाय को राष्ट्रीय पशु बनाए जाने का सुझाव देने वाले राजस्थान होई कोर्ट के जज महेश चंद्र शर्मा ने कहा है कि नेपाल की तर्ज पर भारत में भी गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। जज ने बताया कि उन्होंने अपने फैसले में तमाम वेदों और धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए यह विस्तार से बताया है कि गाय इंसान के लिए क्यों महत्वपूर्ण है। जस्टिस शर्मा ने कहा कि भगवान कृष्ण भी गाय के महत्व को बहुत अच्छी तरह जानते थे। इसके अलावा उन्होंने दावा किया मोर को राष्ट्रीय पक्षी इसलिए बनाया गया क्योंकि वह जिंदगी भर ब्रह्मचारी रहता है।

एक न्यूज चैनल से बातचीत में जस्टिस शर्मा ने कहा, ‘भगवान कृष्ण जब धरती पर आए तो उन्होंने आने से पहले वृंदावन में गाय को उतारा, गोवर्धन में गाय को उतारा…उन्हें पता था कि हमारा जो वैद्य होगा, जो डॉक्टर होगा वह गाय ही होगी। गाय के दूध से सब प्रकार की बीमारियां समाप्त होती हैं…सात्विक प्रवृत्ति बढ़ती है, धार्मिकता बढ़ती है। यह गाय के दूध के महत्व की बात है। मैंने अपने फैसले में गाय के बारे में ऋगवेद, सामवेद, यदुर्वेद, रामायण, गीता और महाभारत का जिक्र करते हुए लिखा है कि गाय का आदमी के लिए क्या महत्व है।’ बुधवार को ही रिटायर हुए शर्मा ने कहा, ‘गाय मरने के बाद भी काम आती है। गाय का गोबर भी काम आता है। गाय का मूत्र भी काम आता है। गाय का दूध, हड्डियां भी काम आती हैं। तांत्रिक प्रयोग के लिए भी गाय काम में आती है।’

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शर्मा ने यह भी बताया कि उन्होंने सरकार को निर्देश देने के बजाय सुझाव क्यों दिया। उन्होंने कहा, ‘मैंने सुझाव दिया है क्योंकि यह मेरी आत्मा की आवाज है। उनको निर्देश इसलिए नहीं दिए जा सकते थे क्योंकि केंद्र सरकार उसमें पार्टी नहीं थी। ये सुझाव मैंने अपनी आत्मा की आवाज पर दिए हैं। सरकार जरूर इस पर काम करेगी, सकरात्मक काम करेगी। यह देश हित का काम है और सभी प्राणियों के लिए है।’

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नेपाल से तुलना के सवाल पर जस्टिस शर्मा ने कहा कि सवाल सेक्युलर या हिंदू का नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हमने मोर को राष्ट्रीय पक्षी क्यों घोषित किया। मोर आजीवन ब्रह्मचारी रहता है। इसके जो आंसू आते हैं, मोरने उसे चुग कर गर्भवती होती है। मोर कभी भी मोरनी के साथ सेक्स नहीं करता। मोर पंख को भगवान कृष्ण ने इसलिए लगाया क्योंकि वह ब्रह्मचारी है। साधु संत भी इसलिए मोर पंख का इस्तेमाल करते हैं। मंदिरों में इसलिए मोर पंख लगाया जाता है। ठीक इसी तरह गाय के अंदर भी इतने गुण हैं कि उसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए।’ यहां बता दें कि जस्टिस शर्मा द्वारा मोर को लेकर कही गई बात सिर्फ एक मिथक है। मोरनी मोर के साथ सहवास करके ही गर्भवती होती है।

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गोहत्या के लिए आजीवन कारावास की सिफारिश के सवाल पर शर्मा ने कहा कि गुजरात और छत्तीसगढ़ में पहले से अजीवन कारावास की व्यवस्था है। मेरा फैसला राजस्थान के लिए है। यह धार्मिक मसला है, सभी की आत्मा की आवाज है।’