
सरकार इस वाउचर स्कीम के लिए डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) की संभावना भी तलाश रही है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, शहरों में करीब 27.5 प्रतिशत आबादी किराए के घरों में रहती है। हालांकि, नैशनल सैंपल सर्वे (NSS) के आंकड़ों के मुताबिक 2009 में शहरों में 35 प्रतिशत लोग किराए के घरों में रहते हैं। इसके अलावा, NSS से यह बात भी सामने आई थी कि यह रेशियो 1991 के बाद से इतना ही बना हुआ है।
आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के एक अधिकारी ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘प्रधानमंत्री की हाउसिंग फॉर ऑल स्कीम के पूरक के तौर पर वाउचर स्कीम को देखा जा रहा है।’ केंद्र जब्त की गई बेनामी प्रॉपर्टी का इस्तेमाल किफायती घर बनाने के लिए करेगी।
इससे घरों की कमी दूर करने में मदद मिलेगी। एक अधिकारी ने बताया, ‘हाल में बेनामी प्रॉपर्टीज ऐक्ट को लागू किया गया है। इससे रेंटल हाउसिंग के लिए एक और रास्ता खुल गया है। इन रूल्स में एक ऐसी शर्त डाली जा सकती है कि जो घर केंद्र सरकार जब्त करेगी, उन्हें नीलाम नहीं किया जाएगा बल्कि उन्हें राज्य सरकारों के जरिये केंद्र मिडल इनकम ग्रुप (MIG), लो इनकम ग्रुप (LIG) और गरीबों को रेंटल हाउसिंग के लिए दे सकता है।’ यह फैसला प्रॉपर्टी की लोकेशन और योग्यता के आधार पर लिया जाएगा।































































