सभापति हामिद अंसारी ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू करने का ऐलान किया, उसी समय विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘पिछले 15 दिनों से हम (प्रधानमंत्री की सदन में उपस्थिति की) मांग कर रहे हैं। हम कालेधन के खिलाफ हैं। हम इस मुद्दे पर बोलना चाहते हैं लेकिन किसके सामने बोलें? हमारा आक्रोश यह है कि प्रधानमंत्री हर सप्ताह संसद भवन में अपने सांसदों की बैठक लेते हैं। वह सदन के बाहर भी बोलते हैं। हमारी मांग यह है कि प्रधानमंत्री को यहां उपस्थित रहना चाहिए और हमारी बात सुननी चाहिए।’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की है कि विपक्षी दल कालाधन रखने वालों के समर्थन में हैं जबकि यह आरोप पूरी तरह बेबुनियाद है। आजाद के यह कहने पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सदन में नोटबंदी के मुद्दे पर उस चर्चा को बहाल करना चाहिए जो 16 नवंबर को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने पर पहले ही दिन शुरू की गई थी।