नई दिल्ली। भाजपा नेता राम माधव ने जम्मू-कश्मीर में मौजूदा अशांति को काबू पाने के लिए सख्त कार्रवाई की शनिवार(10 सितंबर) को हिमायत की। साथ ही, उन्होंने कहा कि अलगाववादियों को आंदोलनकारी रास्ता छोड़ देना चाहिए और वार्ता पर विचार करना चाहिए।
उन्होंने इंडिया टुडे टीवी न्यूज चैनल पर करन थापर से कहा कि ‘‘एक चिंता की बात है कि हमने शायद इसे (हालात को) प्रभावी रूप से नहीं निपटाया है। हमने कुछ चीजों को धीरे-धीरे बढ़ जाने दिया। सख्त कार्रवाई करने और घाटी एवं भारत की अखंडता के व्यापक हित में हालात काबू करने का वक्त आ गया है।’’
हुर्रियत के साथ वार्ता की राष्ट्रीय मुख्यधारा की पार्टियों की मांग पर माधव ने कहा कि वे राज्य सरकार से बात करने के लिए स्वतंत्र हैं, क्योंकि साझा न्यूनतम कार्यक्रम (सीएमपी) कहता है कि राज्य सरकार अलगाववादियों सहित सभी पक्षों से बात करने को तैयार है।
यह पूछे जाने पर कि क्या गेंद हुर्रियत के पाले में है, ‘‘बहुत हद तक। उन्हें अपनी आंदोलनकारी राजनीति छोड़ देनी चाहिए, जिससे उन्हें कुछ नहीं मिलने जा रहा। मैं उनसे साफ साफ कह रहा हूं।’’
उन्होंने कहा कि ये अलगाववादी नेता शांति और वार्ता में रूचि नहीं रखते हैं। वे हिंसा और बच्चों को मरने देने में रूचि रखते हैं। स्वायत्तता के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का रूख साफ है। राज्य की मदद के लिए पर्याप्त स्वतंत्रता और पर्याप्त कानून हैं।