इससे पहले सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि सांसदों की छवि इस तरह की बन रही है मानों उनको काम किए बिना ही वेतन और पेंशन के तौर पर भारी भरकम धन राशि मिल रही है। उन्होंने कहा कि कुछ पूर्व सांसद तो अत्यंत दयनीय हालत में जीवन गुजार रहे हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश में एक पूर्व सांसद का जिक्र करते हुए कहा कि उनके बेटे रंगरोगन करके गुजर-बसर कर रहे हैं।
कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि समाचार पत्र में प्रकाशित उस सर्वे को पढ़ कर वह हतप्रभ रह गए जिसमें कहा गया है कि 80 फीसदी पूर्व सांसद करोड़पति हैं। उन्होंने कहा, ‘जब सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने कथित तौर पर कहा कि 80 फीसदी पूर्व सांसद करोड़पति हैं तो मैं समझता हूं कि यह एक गंभीर मुद्दा है।’ उप सभापति पीजे कुरियन ने उनसे कहा कि वह न्यायपालिका की आलोचना न करें और अदालतों में इसका समाधान तलाशे। रमेश ने कहा कि कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद वर्तमान 80 फीसदी सांसद भी करोड़पति नहीं होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कथित तौर पर कहा था कि सांसदों को मिलने वाली पेंशन और अन्य सुविधाएं ‘प्रथम दृष्टया’ जायज नहीं लगतीं। साथ ही न्यायालय ने केंद्र सरकार और भारत के चुनाव आयोग से उस अपील पर जवाब मांगा जिसमें सांसदों को दी जाने वाली पेंशन और अन्य सुविधाएं रद्द करने की मांग की गई थी।
इस पर जवाब देते हुए वित्त मंत्री और सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा, ‘यह एक निर्विवाद संवैधानिक रुख है कि जनता का धन संसद की मंजूरी के बाद ही खर्च किया जा सकता है। इसलिए केवल संसद ही यह तय कर सकती है कि जनता का धन कैसे खर्च किया जा सकता है। कोई अन्य संस्थान इस अधिकार का उपयोग नहीं कर सकता।’ वित्त मंत्री ने कहा कि यह तय करने का विशेष अधिकार संसद को है कि सरकारी पेंशन लेने का हकदार कौन है और कितनी पेंशन लेने का हकदार है। यह संवैधानिक रुख है जिसे प्रत्येक संस्थान को स्वीकार करना होगा