शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब पार्श्वनाथ बिल्डवेल प्रा. लि. ने कहा था कि शीर्ष अदालत आने वाले 70 खरीदारों को 17 दिसंबर तक फ्लैट सौंप देंगी। शीर्ष अदालत ने 15 सितंबर को गाजियाबाद परियोजना में खरीदारों को फ्लैट का कब्जा देने में हुये विलंब के रूप में अल्पकालीन जमा के ब्याज के रूप में इस फर्म को चार सप्ताह के भीतर 12 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया था। इस डेवलपर ने 26 अगस्त को न्यायालय को सूचित किया था कि वे गंभीर आर्थिक संकट में है क्योंकि उन्हें पिछले साल करीब 400 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया था। उन्होंने यह भी कहा था कि वह एक साल के भीतर गाजियाबाद की विलंबित परियोजना के फ्लैट का कब्जा खरीदारों को दे देगा।
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निबटान आयोग ने फर्म को निर्देश दिया था कि चार सप्ताह के भीतर 12 फीसदी ब्याज और तीन लाख रुपये मुआवजा तथा 25 हजार रुपये मुकदमे के खर्च के रूप में 70 खरीदारों को लौटाए। इन खरीदारों ने गाजियाबाद की पार्श्वनाथ एक्जोटिका परियोजना में फ्लैट बुक कराए थे। न्यायालय को सूचित किया गया था कि इस परियोजना के तहत 854 फ्लैट का निर्माण होना था और 818 खरीदारों ने इसमें फ्लैट बुक कराए थे। उपभोक्ता आयोग के आदेश के खिलाफ पार्श्वनाथ डेवलपर्स लि ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।