इंटरनेट पर लिंग जांच की जानकारी पर SC का सख्त आदेश, जल्दी नोडल एजेंसी बनाए सरकार

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हाईकोर्ट

गर्भ में बच्चे का लिंग जानना गैरकानूनी है। अब सरकार ने लिंग जांच के तरीकों की जानकारी इंटरनेट पर मौजूद होने को लेकर सख्त रूप अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नोडल एजेंसी बनाने का आदेश दिया है।

अगर किसी को इस तरह की सामाग्री इंटरनेट पर दिखाई देती है तो वो इसकी शिकायत एजेंसी पास लेकर जा सकता है। शिकायत दर्ज करने के 36 घंटों के अंदर स्मगरी हटा दी जाएगी। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और याहू जैसे सर्च इंजन से ऐसे विज्ञापन हटाने का आदेश दे चुका है। कोर्ट ने इस तरह के सर्च को ब्लॉक करने को भी कहा था। सुप्रीम कोर्ट में साबू मैथ्यू जार्ज नाम के शख्स ने याचिका दाखिल कर सर्च इंजन में गर्भ में शिशु के लिंग जांच से जुड़े विज्ञापनों का मसला उठाया था। इस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार को गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और याहू के साथ बैठक कर मामले का हल निकालने को कहा था।

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सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के बाद कंपनियों ने ऐसे विज्ञापन हटाने की बात कही थी। साथ ही उन्होंने कहा था कि वो 43 ऐसे की-वर्ड को ब्लॉक लिस्ट में डालने को तैयार हैं, जिनके ज़रिए ऐसी जानकारी लोगों तक पहुंच सकती है।

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आज याचिकाकर्ता के वकील संजय पारीख ने कोर्ट को बताया कि अब भी ऐसी जानकारी सर्च इंजन पर मौजूद हैं। गूगल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कंपनी ने काफी सामग्री ब्लॉक की है। जितनी सख्ती की मांग याचिकाकर्ता कर रहे हैं वो व्यवहारिक नहीं है। जानकारी लेना लोगों का संवैधानिक हक है। इस पर बहुत ज़्यादा पाबंदी नहीं लगाई जानी चाहिए। इससे सर्च इंजन का व्यापार भी प्रभावित होता है।

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दो जजों की बेंच के अध्यक्ष जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, “देश में लिंग अनुपात चिंताजनक है। इसे बेहतर बनाने के लिए कड़े कदम उठाने की ज़रूरत है। ये बात आपके पैसे कमाने से ज़्यादा महत्वपूर्ण है।”