सरकार के फैसले से नाखुश नैशनल रेस्ट्रॉन्ट असोसिएशन ने कहा, ‘नहीं दे सकते सर्विस चार्ज तो रेस्ट्रॉन्ट में नहीं खाएं खाना’

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नैशनल रेस्ट्रॉन्ट असोसिएशन

नैशनल रेस्ट्रॉन्ट असोसिएशन ऑफ इंडिया ने उपभोक्ता मामलों के विभाग के ताज़ा फ़ैसले पर सवाल उठाया है। सोमवार को अपने फैसले में विभाग ने घोषणा की थी कि कोई भी कंपनी, होटल या रेस्ट्रॉन्ट ग्राहकों से जबर्दस्ती सर्विस चार्ज नहीं वसूल सकता। कन्ज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री ने सभी राज्य सरकारों से कहा है कि वह कंपनियों, होटलों और रेस्ट्रॉन्ट्स को इस बारे में सचेत कर दें।

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इस पर असोसिएशन का कहना है कि अगर ग्राहकों को सर्विस चार्ज नहीं देना है तो वे रेस्तरां में खाना भी न खाएं। साथ ही, असोसिशन ने साफ किया है रेस्ट्रॉन्ट द्वारा लगाया जाने वाला सर्विस चार्ज पूरी तरह से उपभोक्ता कानून के तहत है, जब तक कि रेस्ट्रॉन्ट द्वारा ग्राहक से अनुचित चार्ज न वसूला जाए।

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असोसिशन के अध्यक्ष रियाज अमलानी ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बातचीत के दौरान यह साफ किया कि उपभोक्ता कानून के तहत रेस्तरां द्वारा ग्राहकों पर गलत सर्विस चार्ज लगाना और फिर उसे जबरन वसूलना गलत है। लेकिन आमतौर पर जो सर्विस चार्ज लगाया जाता है, वह मेन्यू कार्ड में साफ तौर पर लिखा होता है।

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उन्होंने आगे कहा कि इस चार्ज को बराबर से सर्विस स्टाफ में बांटा जाता है। उनका कहना है कि यह उस बिल का ही हिस्सा होता है, जिस पर रेस्तरां वैट और कर्मचारी आयकर चुकाता है। साथ ही, उनका मानना है कि सर्विस चार्ज लेने से कैश टिप के प्रचलन पर भी रोक लगती है।