भारत-जापान की दोस्ती के बीच आज कई मुद्दों पर बनेगी सहमति

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जापान और भारत के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन तो हर साल होता है लेकिन इस बार गांधीनगर में होने जा रहा शिखर सम्मेलन क्षेत्रीय भू-राजनीतिक हलचलों के कारण बेहद खास हो गया है । हाल के दिनों में देश दुनिया में हो रही घटनाओं ने दोनों देशों को रणनीतिक रुप से और पास लाया है। सुरक्षा समेत कई क्षेत्रों में भारत और जापान के संबंध मजबूत हुए हैं। जापान उन चुनिंदा देशों में है, जिनके साथ शीर्ष स्तर पर भारत का सलाना सम्मेलन होता है।

असैन्य परमाणु समझौता और रक्षा साझेदारी की वजह से दोनों देशों के संबंध अबतक के सबसे बेहतरीन दौर में है। कहा जा रहा है कि आबे के दौरे में भारत और जापान के बीच रक्षा सहयोग प्राथमिकता में होंगे।

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भारत-जापान असैन्य परमाणु सहयोग करार होने के बाद अब इसे आगे ले जाने और परियोजना शुरु करने को लेकर बातचीत शुरू होनी है । दोनों देश ये तय करेंगे कि इस पर कैसे आगे बढ़ा जाए ताकि इससे भारत के असैन्य परमाणु कार्यक्रम में योगदान मिल सके। भारत एवं जापान आतंकवाद निरोधक सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति जता चुके हैं और दोनों नेताओं के संयुक्त बयान में आतंकवाद के खिलाफ जंग में ये सहयोग और बढाने पर जोर हो सकता है ।

दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर भी बातचीत होने की उम्मीद है, क्योंकि इस मसले पर दोनों के हित जुड़े हुए हैं। हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच दोनों देशों में सहयोग जरूरी माना जा रहा है।

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भारत और जापान ने अमेरिका के साथ मिलकर हाल में ही मालाबार सैन्य अभ्यास किया था और आगे इस अभ्यास के विस्तार पर भी बात हो सकती है ।

गर दोनो देश के बीच सामरिक हितों की बात की जाए तो 2014 में भारत और जापान के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए समझौता हुआ था तो साल 2015 में डिफेंस फ्रेमर्क समझौते पर दोनों मुल्कों ने हस्ताक्षर किए।

हाल ही में रक्षा मंत्री के तौर पर अरुण जेटली के जापान दौरे में भी सुरक्षा संबंधों पर खास चर्चा हुई । इस दौरे में भारत और जापान ने दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकी सहित रक्षा उत्पादन में वृद्धि के लिए सहयोग बढ़ाने पर सहमति जतायी थी।

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साथ ही दोनों देशों ने समग्र सैन्य सम्पर्क कायम करने के प्रयास तेज करने पर प्रतिबद्धता जतायी थी । मोदी आबे मुलाकात में भी इस पर आगे बात बढेगी ।

शिंजो आबे का भारत का ये दौरा रणनीतिक रूप से बेहद अहम है. पिछले महीने चीन के साथ डोकलाम विवाद पर शिंजो आबे भारत के साथ खड़े थे । वहीं दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये और उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण के बाद क्षेत्र में पैदा हुए तनाव के बीच शिंजो आबे का दौरा जापान और भारत की दोस्ती को नई दिशा देगा.।

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Source: ABP NEWS