नववर्ष की पूर्व संध्या पर हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन की खिल्ली उड़ाते हुए शिवसेना ने सोमवार (2 जनवरी) को कहा कि घोषणा में शामिल ज्यादातर योजनाएं UPA सरकार के कार्यकाल में शुरू की गयी थीं, और सवाल किया कि नोटबंदी के बाद स्थिति सामान्य होने के लिए और कितने ‘बलिदान’ देने होंगे। सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी दल शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में सोमवार को प्रकाशित लेख के अनुसार, ‘लोगों को आशा थी कि प्रधानमंत्री मोदी उनके जख्मों पर मरहम लगाएंगे। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि राष्ट्र को संबोधित करते हुए मोदी जरा भी गंभीर थे। लाइनों में खड़े होकर 400 से ज्यादा लोगों की जान गयी। सभी मृतकों के परिवार सरकार को कोस रहे होंगे।’ शिवसेना ने कहा कि जिन परिवारों के सदस्य मरे हैं उनके लिए मोदी की घोषणाओं का कोई मोल नहीं है। उसने कहा, ‘मोदी द्वारा घोषित कई योजनाएं पुरानी हैं और संप्रग सरकार के समय से चल रही हैं। उदाहरण के लिए अस्पताल में प्रसव के बाद जच्चा को 6,000 रुपए देने की घोषणा खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 2013 से ही चल रही है।’