‘सामना’ में आगे लिखा है कि मोदी का कहना है कि राज्य के कामकाज में एनसीपी प्रमुख शरद पवार की सलाह लेते हैं। ये बात उन्होंने बारामती में कही थी। मोदी अगर सचमुच शरद पवार से सलाह ले रहे होते, तो पवार भी सलाह देते कि जिला सहकारी बैंको को अपराधी ठहराकर किसानो की अर्थी मत बांधो, क्योंकि सहकारी क्षेत्र महाराष्ट्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आत्मा है। किसानों की कमर टुट चुकी है और किसानों की दुर्दशा पुछने वाला कोई नहीं है। किसान अपना दैनिक लेन-देन का पैसा जिला सहकारी बैंको में जमा करता है। जिला सहकारी बैंको पर पुराने नोटों को लेने का प्रतिबंध लगाकर सरकार ने एक साथ सभी जिला बैंकों को अपराधी और भ्रष्ट ठहरा दिया।
इतना ही नहीं सरकार ने कहा कि जिला सहकारी बैंक काले धन के गोदाम बन गए हैं, इसलिए नोटबंदी के बाद पुराने नोटों को लेने से उन्हें रोका गया। और अब खुद आरबीआई ने एक आरटीआई के जवाब में स्पष्टीकरण दिया है कि नोटबंदी के दोरान राज्य और जिला सहकारी बैंक में भ्रष्टाचार या कोलाहल मचने की कोई जानकारी नहीं है।