अधिकारी ने आगे बताया कि मध्यप्रदेश के देवास और महाराष्ट्र के नासिक में मौजूद प्रेसों में 500 के नोट छपे थे और 2000 के नोट भारतीय रिजर्व बैंक नोट प्राइवेट लिमिटेड की कर्नाटक के मैसूर और पश्चिम बंगाल के सालबोनी प्रेस में छपे थे। इन सभी सिक्योरिटी प्रेस की क्षमता हर महीने 3 बिलियन नोट छापने की है। ऐलान से एक दिन पहले यानी सोमवार को वित्त मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई थी। मीटिंग में इस बारे में बात की गई कि नोटों को कैसे बैंकों और एटीएम में भेजा जाएगा। मीटिंग में RBI, SPMCIL, इंटेलिजेंस ब्यूरो, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक के टॉप अधिकारी शामिल थे। मीटिंग में तय हुआ कि सभी तरह के सुरक्षा मानकों का ध्यान रखते हुए पैसा बैंकों तक पहुंचाया जाएगा। जैसे झारखंड और बिहार में पैसा भेजने के लिए हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल हुआ।
भारत में नोट बनाने वाला पेपर होशंगाबाद, मध्यप्रदेश और मैसूर में बनता है। लेकिन नोटों के लिए ज्यादातर पेपर अब भी विदेशी कंपनियों से आयात करना पड़ता है। 2011 में RBI ने ब्रिटेन की कंपनी De La Rue से पेपर लेना बंद कर दिया था। उसके पेपर में सुरक्षा के लिहाज से कुछ खामियां पाई गईं थीं। 2016 में इंडियन एक्सप्रेस द्वारा पनामा पेपर्स की जांच में दो भारतीय एजेंट्स के नाम सामने आए थे जो बाहर की कंपनियों से भारत में पेपर लाते थे।