सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में माना कि शहर के बीच आने वाली हाईवे पर गाड़ियों की रफ्तार इतनी तेज नहीं होती है। कोर्ट ने कहा, हमारे आदेश का उद्देश्य सिर्फ यही था कि हाईवे के पास शराब उपलब्ध न हो। कुछ लोग शराब पीकर तेजी से गाड़ी चलाते है और इससे दुर्घटना हो जाती है। चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता को कहा कि वह सवालों के जवाब दें और फिर 11 जुलाई को सुनवाई कर आदेश जारी किया जाएगा।
बता दें कि चंडीगढ में कई जगह हाईवे का नाम बदलकर ‘मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड’ कर दिया गया है। इसी को लेकर अराइव सेफ इंडिया एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईवे पर शराब की दुकानों को बंद करने का फैसला जनहित में लिया था। ऐसे में चंडीगढ प्रशासन का सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए 16 मार्च 2017 का नोटिफिकेशन अवैध है और रद्द किया जाना चाहिए। हालांकि, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट इस याचिका को पहले ही खारिज कर चुका है।































































