गुजरात के पूर्व सीएम नरेंद्र मोदी समेत कई राजनेताओं के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भारी रिश्वत लेने की याचिका दायर करते हुए जांच कमेटी बैठाने की मांग की गई थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने इंकार करते हुए कहा है कि वकील और समाजसेवी प्रशांत भूषण द्वारा सूबत के तौर पर जो चीजें दिखाई गईं वे जीरो, झूठी पर विश्वास ना करने योग्य है।
गौरतलब है कि प्रशांत भूषण ने कोर्ट के सामने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (आईटी) द्वारा जब्त किए गए कुछ कागजात पेश किए थे। वे दस्तावेज आईटी ने सहारा और बिरला ग्रुप की जगहों पर रेड मारने के बाद जुटाए थे। प्रशांत ने कोर्ट को बताया था कि वे सारे कागजात उनको किसी विस्लटब्लोअर ने सौंपे थे। प्रशांत ने सारे कागजार कॉमन कॉज नाम के एक एनजीओ को दिए थे। उसने ही जनहित याचिका डालकर जांच की मांग की थी। केस की सुनवाई के वक्त वकील शांति भूषण कॉमन कॉज की तरफ से खड़े हुए थे। उन्होंने जनहित याचिका की सुनवाई कर रही बेंच के जस्टिस जीएस केहर और जस्टिस अरुण मिश्रा के सामने दोनों ग्रुप्स के पास से सीज किए गए कागजात रखे थे। लेकिन बेंच ने उनके मानने से इंकार कर दिया। बेंच ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के मुताबिक सहारा ग्रुप के पास से सीज किए गए कागजात फर्जी हैं। हम लोग उनके दम पर जांच के आदेश नहीं दे सकते।”
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