सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘किसानों की खुदकुशी के बाद मुआवजा देना समस्या का हल नहीं’

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सुप्रीम कोर्ट
फाइल फोटो

देश के उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार के नसीहत देते हुए कहा है कि किसान की आत्महत्या के बाद मुआवजा देना समस्या का हल नहीं है। इसके लिए सरकार को लोन प्रभाव कम करने की जरुरत है। केंद्र को पूरी ताकत किसानों के लिए तैयार कल्याण योजनाओं को कागजों से निकालकर अमल करने में झोंकनी होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आप सही दिशा में काम कर रहे है लेकिन किसानों के आत्म हत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं।

 

चीफ जस्टिस जे एस खेहर और जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार को किसानों के लिए चल रही योजनाओं को अमली जामा पहनाना होगा। बेंच ने कहा, ‘सरकार को पूरी ताकत किसानों के लिए तैयार कल्याण योजनाओं को कागजों से निकालकर अमल करने में लगानी होगी।’ कोर्ट ने कहा कि सरकार सही दिशा में काम कर रही है, लेकिन किसानों की आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस दिशा में काम करने के लिए जो भी कदम उठाने की जरूरत है, आप उठाइए। कोर्ट आपके साथ कदम मिलाकर चलेगा।

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किसानों को ऋण दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘अगर किसी भी किसान को लोन दिया जाता है तो पहले उसका फसल बीमा होगा। फिर किसान लोन डिफॉल्टर कैसे हो गया? अगर फसल बर्बाद होती है तो लोन चुकाने का जिम्मा बीमा कंपनियों का होगा। समस्या यह भी है कि बैंक योजनाओं को लेकर किसान तक नहीं पहुंच पाते, ऐसे में किसान बिचौलिये के चंगुल में फंस जाते हैं।’

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कोर्ट ने सरकार से पूछा कि अगर आप इस दिशा में काम करना चाहते हैं तो क्या करना चाहते हैं यह बताइए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा वह 6 महीने बाद मामले की सुनवाई करेंगे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले की सुनवाई बंद नहीं की जाएगी और सरकार को 6 महीने में जमीनी स्तर पर योजना को लागू करने पर जानकारी देनी होगी।

 

वहीं केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से 12 करोड़ में से 5.34 करोड़ किसान जोडे़ गए हैं। एजी ने कहा, ‘किसानों को इन योजनाओं के बारे में विभिन्न स्तर पर जानकारी दी जा रही है। यहां तक कि पंचायत स्तर भी योजनाओं का प्रचार किया जा रहा है। 2018- 2019 तक इस योजना से हम 50 फीसदी किसानों को कवर कर लेंगे।’

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इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा, किसानों की खुदकुशी और उनकी फसल के बीमे को लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं और भविष्य में क्या योजनाएं हैं? दरअसल एक जनहित याचिका में गुजरात में किसानों की खुदकुशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट से दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को भी लागू नहीं किया जा रहा है।

Source: NBT