उच्चतम न्यायालय द्वारा एक जनहित याचिका पर सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के अपमान को लेकर सरकार से इस स्पष्टीकरण की मांग की है कि किन परिस्थितियों में और किस प्रकार से राष्ट्रगान का अपमान होता है। दरअसल सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाया जाता है लेकिन कुछ लोग इस बात का विरोध जताते हैं कि राष्ट्रगान के समय कई लोग खड़े न होकर उसका अपमान करते हैं जो कि राष्ट्र के हित में नहीं होता। इसलिए याचिका को लेकर यह भी मांग की जा रही है कि किसी भी कार्यक्रम के शुरू होने से पहले राष्ट्रगान के लिए उचित नियम और प्रोटोकॉल तय किया जाए।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया जिसमें ‘राष्ट्रीय सम्मानों का अपमान रोकथाम अधिनियम 1971’ के प्रावधानों का उल्लेख किया गया है और यह आरोप भी लगाया गया है कि ऐसी विभिन्न परिस्थितियों में राष्ट्रगान गाया जाता है जो स्वीकार्य नहीं है। श्याम नारायण चौकसे की जनहित याचिका में यह निर्देश देने की मांग की गयी है कि देशभर में सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाया जाना चाहिए और इसे बजाने तथा सरकारी समारोहों और कार्यक्रमों में इसे गाने के संबंध में उचित नियम और प्रोटोकॉल तय होने चाहिएं जहां संवैधानिक पदों पर बैठे लोग मौजूद होते हैं। मामले में सुनवाई अब 30 नवंबर को होगी।
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