सर्जिकल स्ट्राइक के अंदर की कहानी, पढ़िए- भारतीय शूरवीरों ने कैसे दिया था मिशन को अंजाम

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सेना के रिकॉर्ड में दर्ज है, ‘कार्रवाई के बाद दुश्मन के इंटरसेप्ट्स से इस बात की पुष्टि होती है कि आतंकवादियों के अलावा उनके ठिकाने भी तबाह हो गए। इसके अलावा, उन्हें मदद पहुंचाने वाले दुश्मन भी मारे गए।’ चूंकि, दस्तावेज में इस सैन्य ऑपरेशन से जुड़ी पूरी डिटेल्स मौजूद नहीं है, लेकिन इससे अंदाजा लगाना आसान है कि आतंकी काफी ज्यादा तादाद में मारे गए।

रिकॉर्ड बताते हैं कि दो अफसरों ने खुद चार-चार को मारा। इनमें दुश्मनों के पहरेदार भी शामिल हैं, जिन्हें आमने-सामने की चुनौती में ठिकाने लगाया गया। वीरता पुरस्कार पाए एक सैनिक के बारे में रिकॉर्ड में दर्ज है, ‘सैनिक अपने सहयोगी के साथ दुश्मन के ठिकाने पर पहुंचा और उसने खुले में दो संतरियों को मार गिराया। उसने यह सुनिश्चित किया कि पूरा ऑपरेशन बिना बाधा के पूरा किया जा सके। सैनिक ने चार दुश्मनों को नजदीकी लड़ाई में मार गिराया।’ आगे लिखा है, ‘सैनिक ने निर्णायक सोच, दृढ़ संकल्प और अदम्य साहस का परिचय देते हुए चार दुश्मनों को ठिकाने लगाया और यह सुनिश्चित किया कि कोई दुश्मन मौके से भाग न पाए।’

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डिटेल्स से पता चलता है कि भारतीय सेना के अफसरों न केवल सामने से टीम का नेतृत्व किया बल्कि दुश्मनों के सामने कम संख्याबल के बावजूद साथी सैनिकों को बहादुरी के साथ लड़ने के लिए प्रेरित किया। वीरता पुरस्कार पाने वाले एक अफसर के बारे में लिखा है, ‘आतंकियों और उनका साथ दे रहे दुश्मनों की तीखी जवाबी प्रतिक्रिया के बावजूद वह दुश्मनों से मोर्चा लेते रहे। इसके साथ ही वह अपनी टुकड़ी को दुश्मनों के ठिकानों को खत्म करने के लिए प्रेरित करते रहे।’ आगे लिखा है, ‘उनकी आक्रामकता और लगातार प्रेरणा से उनके लोगों ने कम संख्याबल होने के बावजूद जोरदार तरीके से दुश्मन पर हमला किया और उन्हें मानसिक तौर पर पंगु कर दिया।’

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वहीं, एक सैनिक की बहादुरी का भी रिकॉर्ड में जिक्र है, जिसने अपने सहयोगियों को मुश्किल में देख सामने से हो रही फायरिंग की ओर ही दौड़ पड़ा ताकि दुश्मनों का ध्यान उस पर आ जाए। रिकॉर्ड में लिखा है, ‘अनुभवी सैनिक ने जब यह देखा कि उसके पक्ष को जानमाल का नुकसान हो सकता है, तो उसने मौके की नजाकत को समझते हुए खुद की सेफ्टी को ताक पर रखकर फायरिंग कर रहे दुश्मनों की ओर दौड़ पड़ा और दो दुश्मनों को गोलियों से भून डाला।’

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हमला करने वाली टीम के कमांडर ने सामने ने नेतृत्व किया। उसने लक्ष्य पर पहुंचकर पहरा दे रहे दो दुश्मनों को सामने से चुनौती देकर ठिकाने लगाया। इसके बाद, जंगल में छिपी अपनी टीम को आदेश दिया कि वह मुख्य लक्ष्य पर हमला करे। बिना किसी व्यवधान के मिशन को अंजाम दिया गया। नजदीकी लड़ाई में दुश्मन के चार लक्ष्यों को तबाह कर दिया गया।

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