गलती से एलओसी पार कर पाकिस्तान की सीमा में घुसे भारतीय सेना के जवान चंदू बाबूलाल च्वहाण को पाकिस्तान ने 21 जनवरी को रिहा कर दिया था। लेकिन पाकिस्तान में उनपर हुई जुल्म और टॉर्चर की जो दास्तां बताई है, उसे सुनकर रूह तक कांप जाए।
नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार, चंदू के भाई भूषण नचंदू की जो कहानी बताई वह डरा देने वाली है। भूषण ने बताया कि चंदू को पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों ने बुरी तरह टॉर्चर किया। चंदू को कभी सोने नहीं दिया गया और उसे पूरी गिरफ्तारी के दौरान अंधेरे कमरे में अकेले रखा जाता था। बता दें कि भूषण भी सेना में तैनात हैं।
भूषण ने कहा, ‘चंदू ने गिरफ्तारी के बाद पहली बार 21 जनवरी को वाघा सीमा पर रोशनी देखी। चंदू को लगातार कुछ ड्रग्स दिए जाते थे और उसके बाद उससे सेना के कई अधिकारी पूछताछ करते थे।’ उन्होंने बताया कि ड्रग्स के प्रभाव से चंदू भ्रम वाली स्थिति में चला जाता था। उसे लगातार पीटा जाता था, उसकी आंखों पर पट्टी बांधकर सेना के एक कैंप से दूसरे कैंप में ले जाया गया।
चंदू के भाई भूषण ने बताया कि चंदू की अंगुली टूट गई है और घुटने में चोट है। चंदू ने अपने परिवार को बताया कि उसे रिहा होने की उम्मीद थी। उसने पहली बार वाघा सीमा पर रोशनी की किरण देखी और तब उसे अहसास हुआ कि उसे भारतीय सेना के हवाले किया जा रहा था। भूषण के दादा चिंदा पाटिल ने बताया, ‘चंदू फिलहाल सामान्य है लेकिन वह मानसिक तौर पर काफी सदमे में है और उसके रिकवर होने में वक्त लगेगा। डॉक्टरों ने कहा है कि चंदू के घाव कुछ दिन में भर जाएंगे।’ केन्द्रीय रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे के आग्रह के बाद सोमवार को सेना के अधिकारियों की मौजूदगी में भूषण और चिंदा पाटिल को अमृतसर के सेना अस्तपाल में चंदू से मिलने की इजाजत दी गई।
भाई से मिलने के बाद भूषण ने कहा, ‘मैंने उसे गले लगाकर रोता रहा। वह अपनी दादी मां के बारे में पूछ रहा था, जिनका चंदू की गिरफ्तारी के दिन ही निधन हो गया था। मेरे दादाजी ने चंदू को उसकी दादी के निधन के बारे में बताया जिसपर वह रोने लगा।’ 37 राष्ट्रीय रायफल्स बटालियन के जवान 22 वर्षीय चंदू जम्मू-कश्मीर के मेंढर में तैनात थे। भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में की गई सर्जिकल स्ट्राइक के 3 दिन बाद गलती से चंदू LOC पार कर पाकिस्तानी सीमा में पहुंच गए थे। भारत के कूटनीतिक दबाव के कारण पाकिस्तान ने चंदू 21 जनवरी को रिहा किया था।