जनधन योजना का एक और सच आया सामने, पढ़िये कैसे अधूरा रह गया मोदी का सपना?

0
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse

जनसत्ता की खबर के अनुसार, शहरी क्षेत्रों के तहत अब तक कुल 22,000 पब्लिक टॉयलेट बनाए गए हैं जो कि कुल टारगेट 2.55 लाख का करीब 9 पर्सेंट है। वहीं समुदायिक शौचालय के तौर पर 76,744 सीटें बनाई गई है जो कि कुल लक्ष्य का 30 प्रतिशत है। एक अन्य उद्देश्य के तहत 4,041 शहरी क्षेत्रों में 100 प्रतिशत अपशिष्ट प्रबंधन (वेस्ट मैनेजमेंट) को प्राप्त करने का टारगेट रखा गया था। इस मोर्च पर कुछ मुट्ठी भर शहरों और कस्बों में 100 प्रतिशत डोर-टू-डोर कलेक्शन और ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था है हालांकि इनमें से एक भी शहर 100 प्रतिशत अपशिष्ट के प्रसंस्करण और निपटान में कामयाब नहीं रहा।

इसे भी पढ़िए :  पीएम मोदी से मिली महबूबा मुफ्ती, घाटी में जारी हिंसा से लेकर गठबंधन बचाने पर हुई बात

वहीं, शहरी क्षेत्रों में अक्टबूर 2019 तक कुल 1.04 करोड़ व्यक्तिगत घरेलू शौचालय बनाने की घोषणा की गई थी। पहले साल में कवल 4.6 लाख टॉयलेट ही बन सके। बाद में मंत्रालय की ओर से इस पंच वर्षीय प्रोग्राम को संशोधित कर 66.42 लाख टायलेट बनाने का टारगेट रखा गया। इस स्कीम के तहत केवल 24 लाख व्यक्तिगत शौचालय बनाए जा सके हैं जो कि पूरे टारगेट का 36 पर्सेंट है।

इसे भी पढ़िए :  राजधानी एक्सप्रेस में सबसे बड़ी चोरी

शहरी विकास मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि देरी की वजह राज्य और शहरों द्वारा वित्तीय सहायता की सीमा तय करने में लिया गया समय है। हालांकि, मिशन ने अब पर्याप्त गति प्राप्त कर ली है। इस साल के अंत में केरल, गुजरात और आंध्र प्रदेश ने अपने सभी शहरों को ODF घोषित कर दिया गया है।

इसे भी पढ़िए :  मध्य प्रदेश : नगर निकाय चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत, दूसरे नम्बर पर रही कांग्रेस
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse