देश में तीन तलाक का मामला एक बार फिर से तूल पकड़ने लगा है। 11 मई से सुप्रीम केर्ट 11 मई से तीन तलाक की वैधता को लेकर सुनवाई शुरू करने वाली है। उससे पहले एक मौलवी तीन तलाक पर अपना बयान देकर चर्चाओं में आ गए हैं। मौलाना सैयद शहराबुद्दीन ने तीन तलाक पर बात करते उन्होंने हलाला को गैरइस्लामी बताते हुए महिलाओं पर अत्याचार का हथियार बताया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे प्रभावशाली मुस्लिम संगठनों ने कहा कि ये परंपराएं पवित्र कुरान से आईं और ये न्याय प्रणाली के दायरे में नहीं आती हैं।
इंडियन मुस्लिम्स फॉर सेक्यूलर डेमोक्रेसी (IMSD) ने मौलाना फिरदौसी के बयान का स्वागत किया है। IMSD के संयोजक जावेद आनंद ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मौलाना फिरदौसी के बयान को पढ़कर सुनाया। बयान में मौलाना फिरदौसी ने कहा है ‘हमारे इस्लाम में कोई ऐसी बातो का जिक्र नही है जिसमे लोग ने तीन बार तलाक कहा और तलाक हो जाए ऐसा कुछ नही है। हमारे परंपराएं पवित्र कुरान में साफ साफ लिखा है कि जबतक मियां और बीबी एक दुसरे से तलाक नही देते तबतक तलाक नहीं माना जाता हैं। और उन दोन की फैमिली भी वहा मोजूद होने चाहिए। मोलाना ने कहा महीला को सिर्फ भड़काया जा रहा है। और हलाला मुस्लिम महिलाओं की गरिमा पर डकैती के समान है और यह उनके आत्म-सम्मान पर चोट है।’
जब मीडिया ने सैयद शहराबुद्दीन मौलाना से पूछा कि जब तीन तलाक की बातों का जिक्र हो रहा था तब आप कहां थे? और चुप क्यो थे? उस पर मौलानाा ने कहा तब मैं बड़े बड़े मौलानाओं से डीसकस कर रहा था कि ‘तलाक और हलाला मुस्लिम पर हो रही बातों से आप लोंग सहमत हैं क्या? तब बड़े बड़े मौलानाओं ने भी अपनी राय दी ओर कहा कि तीन तलाक और हलाला पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, क्योंकि ये परंपराएं पवित्र कुरान से आईं और ये न्याय प्रणाली के दायरे में नहीं आती हैं। बस इतनी बातें कह कर चुप हो गए। उन्हें डर है कि इससे उन्हें फंड मिलना बंद न हो जाएगा।’