इस्लामिक धर्मगुरु ज़ाकिर नाइक के खिलाफ आतंकवाद संबंधी मामलों में लिप्त 50 से ज़्यादा लोगों को अपने भाषणों से प्रेरित करने के लिए केंद्र सरकार आतंकवाद के चार्ज लगा सकती है। उच्चस्तरिय सरकारी सूत्रों के मुताबिक यह निर्णय उनके भाषणों की जांच के बाद किया गया है।
सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्रालय, कानूनी राय के साथ सेना और महाराष्ट्र सरकार ने मिलकर नाइक को जिहादी आतंकियों को अपने भाषणों द्वारा प्रेरित करने के लिए गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (UAPA) के तहत आरोप लगाने का फैसला लिया है। एक इंटेलिजेंस ऑफिसर ने बताया कि आतंकवाद के चार्जेज लगाने का पहला कारण पिछली कई आतंकी गतिविधियों में शामिल आतंकियों के बयान हैं जिन्होंने यह कबूल किया है कि नाइक के भाषणों ने उन्हें हिंसा के लिए प्रेरित किया था।
कई आतंकी गतिविधियों में लिप्त लोगों ने ये कबूला है कि वो नाइक के भाषणों से प्रेरित हुए हैं। ढाका हमले में शामिल आतंकियों ने काबुल किया है कि नाइक भाषणों ने उन्हें हिंसा के लिए प्रेरित किया है। ढाका हमले की जांच के समय से विदेश में हैं और आतंकी गतिविधियों के आरोप लगने के बाद उनका भारत आने की उम्मीद अब कम ही है।
जिन आतंकियों के स्टेटमेंट नाइक के खिलाफ रिकॉर्ड किए गए हैं उनमें से एक आईआरएफ (इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन) का पूर्व कर्मचारी है। फिरोज देशमुख नाम के इस आदमी को 2006 के औरंगाबाद हथियार बरामदगी मामले में गिरफ्तार किया है। दूसरा है, कतील अहमद सिद्दिकी, जो इंडियन मुजाहिदीन का सदस्य था। तीसरी आईएस रिक्रूटर आरोपी आफशा जबीन है, जिसे सितंबर 2015 में संयुक्त अरब अमीरात से निर्वासित किया गया था। जनवरी में एनआई ए द्वारा डाली गयी रेड में पकड़े गए अबू अनस, मुहम्मद नफीस खान, मदब्बीर शेख और मोहम्मद ओबेदुल्ला खान भी इसी सूची में शामिल हैं।
आईआरएफ सदस्यों ने भाषणों और गतिविधियों के माध्यम से धार्मिक समुदायों के बीच नफरत फैलाने की कोशिश की है जिसके लिए अथॉरिटी ने ज़ाकिर नाइक का एनजीओ भी बैन करने का फैसला लिया है। गौरतलब है कि केरल के 17 युवकों में से एक, जिसने हाल ही में आईएस जॉइन किया था, ने आरोप लगाया है कि उसे IRF के एक सदस्य ने बातचीत के लिए मुबई आने को कहा था।