तीन तलाक पर महाबहस : SC ने पूछा क्या महिला को मिल सकता है तीन तलाक को ना कहने का अधिकार ?

0
तीन तलाक
Prev1 of 2
Use your ← → (arrow) keys to browse

नई दिल्ली : तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के पांचवें दिन अदालत ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) से पूछा कि क्या निकाह के समय ‘निकाहनामा’ में महिला को तीन तलाक के लिए ‘ना’ कहने का विकल्प दिया जा सकता है? बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरान कहा कि तीन तलाक की प्रथा खत्म होने के कगार पर है और इसमें दखल की कोशिश का नकरात्मक असर हो सकता है। बोर्ड ने कोर्ट को 14 अप्रैल 2014 में पास किया गया एक रेजॉलूशन भी दिखाया जिसमें कहा गया है कि तीन तलाक एक गुनाह है और मुस्लिम समुदाय के लोगों को उस व्यक्ति का बहिष्कार करना चाहिए जो इसे अपनाता है।

इसे भी पढ़िए :  मीडिया के भेष में छिपा आतंकवादी और सरकार का पालतू कुत्ता है अरनब गोस्वामी- प्रशांत भूषण

सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि मुस्लिम समुदाय के बहुत कम लोग तीन तलाक की प्रथा का पालन कर रहे हैं और यह प्रथा लगभग खत्म होने के कगार पर है। उन्होंने कहा, ‘ऐसे में तीन तलाक की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने से हो सकता है कि एक खत्म होती परंपरा फिर से जिंदा हो जाए। अगर सुप्रीम कोर्ट जैसी सेक्युलर अदालत तीन तलाक पर बैन लगाने पर विचार करती है तो हो सकता है कि मुस्लिम समुदाय भी इस पर अपना रुख सख्त कर ले।’सिब्बल ने मुस्लिम समुदाय की तुलना उन छोटे पक्षियों से की जिन्हें गिद्ध अपना शिकार बना लेते हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय के ‘घोसले’ को सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा मिलनी ही चाहिए। सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पर पिछले 67 सालों से मुस्लिम समुदाय का मजबूत भरोसा है और यही विश्वास देश को जीवंत बनाता है। सिब्बल ने कहा कि इसी भरोसे के साथ मुस्लिम समुदाय कोर्ट से अपने पर्सनल कानून और परंपराओं के संरक्षण की गुहार लगा रहा है।

इसे भी पढ़िए :  जानें बीजेपी के कांग्रेस मुक्त नॉर्थ ईस्ट के सपने को किसने दिया झटका

अगले पेज पर जानिए – AIMPLB ने क्या कहा

Prev1 of 2
Use your ← → (arrow) keys to browse