अधिकारियों के मुताबिक, मारे गए चारों आतंकवादियों के फोटो जैश के उन लोगों को दिखाए जाएंगे, जो भारत की जेलों में हैं। इस तरह आतंकवादियों की पहचान में आसानी होगी। एनआईए के अधिकारी इन आतंकवादियों और उनके हैंडलर्स के बीच हमले के पहले हुई बातचीत की जांच भी करेंगे। इस बातचीत के इंटरसेप्ट्स से संकेत मिला है कि ये जैश-ए-मुहम्मद के लोग थे। इन आतंकवादियों से गोला-बारूद और हथियारों के अलावा दो मोबाइल सेट और दो जीपीएस डिवाइस भी मिली हैं। इनसे जांच एजेंसी को उस रास्ते का पता लगाने में मदद मिल सकती है, जिससे होकर ये चार आतंकवादी उड़ी पहुंचे।
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इनमें से एक जीपीएस डिवाइस आग लगने से डैमेज हो गई है। एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि एनआईए इस मामले की जांच में दो अहम पहलुओं पर काम करेगी। एक के तहत यह पता लगाया जाएगा कि किस तरह आर्मी के सुरक्षा घेरे को भेदा गया और क्या कोई घर का भेदी दुश्मनों को अहम जानकारी दे रहा था। जांच के दूसरे पहलू में हमले की साजिश रचने वालों का पता लगाया जाएगा। हो सकता है कि आतंकवादियों को लोकल सपोर्ट मिला हो, जिसके दम पर वे आर्मी बेस के भीतर पहुंचे हों। इन चार आतंकवादियों को हो सकता है कि लोकल सपोर्ट मिला हो, जिसका इंतजाम इनके हैंडलर्स ने किया होगा। इस बीच आर्मी ने सुरक्षा संबंधी चूक की जांच शुरू कर दी है। इसके तहत आर्मी बेस की सुरक्षा में किसी भी तरह की ढील का पता लगाया जाएगा।
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