जानिए माल्या के भारत का क्या होगा प्रॉसेस
1-भारत और ब्रिटेन के बीच जो प्रत्यर्पण संधि है, वह काफी जटिल है। ब्रिटेन की दुनिया के करीब 100 मुल्कों के साथ प्रत्यर्पण संधि है। यह प्रक्रिया काफी लंबी है। भारत इस संधि में कैटिगरी 2 के टाइप बी वाले मुल्कों में शामिल है।
2-सबसे पहले विदेश मंत्रालय से आग्रह किया जाएगा, जो इस बात का फैसला करता है कि इसे सर्टिफाई किया जाए या नहीं।
3-जज फैसला करता है कि शख्स के अरेस्ट के लिए वॉरंट जारी किया जाए या नहीं। इसके बाद शुरुआती सुनवाई होगी। इसके बाद प्रत्यर्पण की सुनवाई होगी।
4-इसके बाद विदेश मंत्री तय करता है कि प्रत्यर्पण का आदेश दिया जाए या नहीं। आग्रह करने वाले देश को क्राउन प्रॉसिक्युशन सर्विस (सीपीएस) को आग्रह का शुरुआती मसौदा सौंपने के लिए कहा जाता है, ताकि बाद में कोई दिक्कत न हो।
5-अगर कोर्ट स्वीकार कर लेता है कि पूरी जानकारी मुहैया करा दी गई है तो गिरफ्तारी का वॉरंट जारी किया जाएगा। इसमें उस शख्स से जुड़ी सारी जानकारी होती है।
6-गिरफ्तारी के बाद शुरुआती सुनवाई और प्रत्यर्पण सुनवाई होती है। इसके बाद जज संतुष्ट होता है तो मामले को विदेश मंत्रालय को बढ़ा दिया जाता है।
7-इसके बावजूद जिसके प्रत्यर्पण पर बातचीत हो रही है, वो शख़्स मामला विदेश मंत्रालय को भेजने के जज के फ़ैसले पर अपील कर सकता है।
8-अहम बात है कि विदेश मंत्रालय को मामला भेजने के दो महीने के भीतर फैसला करना होता है। ऐसा ना होने पर व्यक्ति रिहा करने के लिए आवेदन कर सकता है। हालांकि विदेश मंत्री अदालत से फैसला देने की तारीख आगे बढ़वा सकता है। इस पूरी प्रक्रिया के बाद भी शख्स के पास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का अधिकार रहता है। यानी विजय माल्या को भारत लाने की प्रक्रिया काफी जटिल है।































































