हमारे सहयोगी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने कई सूत्रों से बात की और यह जानने की कोशिश की कि आखिर सांसद के निधन के बाद भी बजट पेश करने के पीछे क्या वजह रही होंगी। इसको लेकर कई लीगल एक्सपर्ट से बात करने और दो पूर्व उदाहरण से यह बात सामने आई कि नरेंद्र मोदी सरकार ने बुधवार सुबह ही बजट पेश करने का मन बना लिया था। बसंत पंचमी होने के कारण इस दिन को बहुत ही शुभ माना जा रहा था। अरुण जेटली ने इस जिक्र अपनी बजट स्पीच में भी किया था। उन्होंने कहा था, “आज से बेहतर कोई दिन हो ही नहीं सकता था।” इसके अलावा, सरकार को यह भी डर था कि अगर देरी की गई तो बजट लीक ना हो जाए, क्योंकि वितरण के लिए इसकी प्रिंटिंग कराई जा चुकी थी।
पार्लियामेंट डेटा बताता है कि 31 जुलाई, 1974 को स्पीकर गुरदियाल सिंह ने मंत्री एमबी राणा के निधन के बाद संसद को स्थगित नहीं किया था। स्पीकर ने तत्का,लीन वित्तस मंत्री वाईबी चव्हाीण को बजट पेश करने की अनुमति दे दी थी। इसके अलावा, 19 अप्रैल 1954 को सांसद जेपी सोरेन का निधन रेल बजट के दिन हो गया था लेकिन कार्यवाही को स्थगित नहीं किया गया था। दोनों ही उदाहरण में शोकसभा के लिए समय जरूर निकाला गया था लेकिन बजट को पेश किया गया था।