इसके बाद, जोशी और भारत ने गोरखपुर छोड़ दिया और योगी से दोबारा मिलने की कोशिश नहीं की। वहीं, असीमानंद के ‘इकबालिया’ बयान के मुताबिक, उन्हें सुनील जोशी ने जून 2006 में बताया था कि उसे योगी या राजेश्वर से कोई मदद नहीं मिली। दिलचस्प बात यह है कि असीमानंद अपने दिए बयान से पलट गए और दावा किया कि उन्होंने यह कुछ दबाव में कहा था।
एनआईए कोर्ट ने स्वामी असीमानंद, भारत भाई और कुछ अन्य लोगों को अजमेर ब्लास्ट केस में बरी कर दिया, जबकि सुनील जोशी(मृत), देवेंद्र सिंह और भावेश पटेल को दोषी ठहराया। एनआईए के एक अफसर के मुताबिक, योगी से पूछताछ के बारे में सवाल ही नहीं उठा क्योंकि जांच के दौरान असीमानंद और भारत भाई के बयानों से यह साबित हुआ कि योगी ने उनकी कथित योजनाओं को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। बता दें कि 2011 में अजमेर दरगाह ब्लास्ट की जिम्मेदारी एनआईए को दी गई थी।