मुंबई : विवादित मुस्लिम धर्म प्रचारक जाकिर नाईक ने भले पुलिस के डर से अपना विदेश दौरा लंबा कर दिया हो, लेकिन उसके खिलाफ आरोपों की जांच कर रही मुंबई पुलिस की खुफिया शाखा को प्रथमदृष्टया कोई आपत्तिजनक सुबूत नहीं मिला है। बहुत संभव है कि वह जाकिर को क्लीन चिट दे दे।ढाका (बंग्लादेश) के कैफे में हुए आतंकी हमले के बाद जाकिर भारतीय जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं। उसके बाद ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने मुंबई के पुलिस आयुक्त दत्तात्रेय पडसलगीकर को नाइक के भाषणों एवं गतिविधियों की जांच के आदेश दिए थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र स्टेट इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट (एसआइडी) को प्रारंभिक जांच में जाकिर के विरुद्ध कोई ऐसे तथ्य नहीं मिले हैं, जिनसे उसकी तत्काल गिरफ्तारी हो सके। सूत्रों के अनुसार एसआइडी ने पहली बार नाईक के भाषणों एवं गतिविधियों की जांच नहीं की है। राज्य पुलिस का खुफिया विभाग कुछ वर्ष पहले जाकिर नाईक द्वारा आयोजित 10 दिवसीय इस्लामी सम्मेलन के समय भी उनके भाषणों एवं गतिविधियों की जांच कर चुका है। उस समय भी एसआइडी को नाईक के भाषणों में ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला था, जिसे भारतीय कानून के अनुसार आपत्तिजनक माना जा सके। हालांकि, एसआइडी से जुड़े अधिकारी अब भी जाकिर के भाषणों, गतिविधियों एवं उसके संगठन को मिल रही आर्थिक मदद के स्नोतों की जांच कर रहे हैं।
दूसरी ओर मंगलवार को आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआइएमआइएम) भी जाकिर नाइक के समर्थन उतर आई। एमआइएम के औरंगाबाद से विधायक इम्तियाज जलील ने कहा है कि उनकी पार्टी कानून का पालन करती है और चाहती है कि किसी को तब तक दोषी न कहा जाए, जब तक कि उसे देश के कानून के अनुसार दोषी न ठहरा दिया जाए। इम्तियाज के अनुसार मीडिया, खासतौर से कुछ राष्ट्रीय चैनल नाइक के विरुद्ध अपना फैसला सुनाते नजर आ रहे हैं। जबकि अभी तो उस पर औपचारिक रूप से कोई मामला दर्ज भी नहीं हुआ है। मीडिया को इस प्रकार किसी को भी आतंकवाद का समर्थक करार नहीं देना चाहिए। बता दें कि एमआइएम से पहले मुंबई के कई और मुस्लिम संगठन भी जाकिर नाईक के समर्थन में आ चुके हैं। इसलिए मुंबई पुलिस उसके विरुद्ध जल्दबाजी में कोई कड़ा कदम उठाने से बच रही है।