एक नई रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि बच्चों का पूरा स्कूली करियर देर से शुरू करना चाहिए। इस बारे में पहले भी काफी रिसर्च हो चुकी है कि बच्चों को कम उम्र में स्कूल नहीं भेजना चाहिए। अगर रिसर्च को सही मानें तो अगर आप भी चाहतें हैं कि आपका बच्चा आत्मसंयम रखना सीखे तो उसे 6 साल की उम्र तक न भेजें स्कूल ।
स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी में हुई एक खोज में पाया गया है कि जिन माता-पिता ने अपने बच्चे को किंडरगार्टन में 5 साल की बजाए 6 साल की उम्र में भेजा उनमें 7 साल और 11 साल की उम्र में बेहतर सेल्फ-कंट्रोल यानी आत्मसंयम पाया गया। मनोवैज्ञानिकों की मानें तो आत्मसंयम व्यक्तित्व का बेहद अहम और विशिष्ट गुण है जिसे बच्चे अपने शुरुआती सालों में हासिल करते हैं। अगर बच्चे में यह गुण अच्छी तरह से आ जाता है तो यह इस बात का संकेत देता है कि समस्याएं और परेशानी आने पर बच्चा, कितना फोकस रहकर उस परेशानी का सामना कर सकता है।
अपने हालिया खोज में जांचकर्ताओं थॉमस डी और हैन्स हेनरिक सीवर्जन ने दानिश नैशनल बर्थ कोवर्ट DNBC से डेटा कलेक्ट किया। इसमें उन्होंने 7 साल के बच्चे की मानसिक सेहत की जानकारी हासिल करने के लिए 54 हजार 241 पैरंट्स की प्रतिक्रियाएं लीं जबकि 11 साल के बच्चे के 35 हजार 902 पैरंट्स की प्रतिक्रिया ली गई। डी और सीवर्जन ने पाया कि जिन बच्चों ने औसतन बच्चों के मुकाबले 1 साल देर से किंडरगार्टन शुरू किया उन्होंने हाइपरऐक्टिविटी के मामले में 73 प्रतिशत बेहतर स्कोर किया।
उत्तर यूरोपीय देशों में बच्चों को काफी देर से स्कूल में दाखिल कराने की परंपरा है। उदाहरण के लिए फिनलैंड में बच्चे 8 साल की उम्र में औपचारिक स्कूल की शुरुआत करते हैं। इससे पहले का उनका समय या तो घर पर गुजरता है या फिर प्री-किंडरगार्टन में।