प्रोबायोटिक्स फायदेमंद बैक्टीरिया हैं जो आंत में रहते हैं और पाचन सुधार में मदद करते हैं। प्रोबायोटिक्स के विपरीत प्रीबायोटिक्स न पचने वाले कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो फाइबर से भरे होते हैं और ये आंतों में बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देते हैं। आप प्रीबायोटिक्स को हजम नहीं कर सकते हैं। चूंकि प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स सहजीवी तरीके से काम करते हैं, इसलिए दोनों के संयोजन फायदेमंद होता है।
‘मदर डेयरी फल और सब्जी’ में डेयरी प्रॉडक्ट्स के बिजनेस हेड सुभाशीष बसु ने इंडियास्पेंड से बात करते हुए बताया कि, “एक उत्पाद में दोनों का संयोजन तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण है।” इसलिए आमतौर पर डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ प्री या प्रोबायोटिक्स होते हैं। हालांकि चिकित्सीय पूरक खुराक में अक्सर दोनों होते हैं।
भारत के प्रोबायोटिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सचिव और संस्थापक तथा राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल के पूर्व प्रमुख और एमेरिटस के प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार बातिश कहते हैं, “प्रोबायोटिक्स आपकी आँतों में भोजन को गति करने में सहायता देते हैं। वे कुछ स्थितियों जैसे इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम, अतिसार, आँतों की सूजन आदि की चिकित्सा करते हैं। जब आप अपने शरीर के अच्छे बैक्टीरिया खो देते हैं (उदाहरण के लिए, जब आप एंटीबायोटिक्स लेते हैं), तो प्रोबायोटिक्स उनकी जगह लेने में सहायता करते हैं। ये आंत में स्थित हानिकारक बैक्टीरिया को कम करने में भी सहायता करते हैं। प्रिबायोटिक्स आंतों में घावों, जैसे एडेनोमा और कार्सिनोमा (गांठ और कैंसर की स्थिति) की वृद्धि को भी रोकते हैं, और इस प्रकार आँतों और मलाशय के रोगों को घटाते हैं।”
विशेषज्ञों का कहना है कि प्री-बायोटिक्स का सेवन बढ़ाने से सबको फायदा हो सकता है, लेकिन अतिरिक्त मात्रा में लिया जाने वाला प्रो-बायोटिक्स हानिकारक हो सकता है। प्री-बॉयटिक्स के अच्छे स्रोतों में गेहूं की भूसी, शकरकंद, अलसी और जिमीकंद शामिल हैं।