नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और लोढ़ा कमेटी एक बार फिर से आमने-सामने हैं। लोढ़ा समिति ने सोमवार(21 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी तीसरी स्टेटस रिपोर्ट में बीसीसीआई और इससे संबद्ध सभी राज्य क्रिकेट संघों के सभी शीर्ष अधिकारियों को पद से हटाने की सिफारिश की है। साथ ही बीसीसीआई में बतौर पर्यवेक्षक पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई की नियुक्ति की भी सिफारिश की है।
पैनल ने सुप्रीम कोर्ट में सौंपे अपनी अनुशंसा में कहा है कि बोर्ड के वर्तमान बड़े अधिकारियों को हटाकर थोड़े समय तक पूर्व गृह सचिव जी. के. पिल्लई की देखरेख में बोर्ड का कामकाज चलाया जाए। यानी BCCI में लोढ़ा पैनल की सिफारिशों के अनुसार नई व्यवस्था बनने तक जी. के. पिल्लई बतौर पर्यवेक्षक बोर्ड का कामकाज देखेंगे।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देश के क्रिकेट प्रशासन में आमूल-चूल सुधार के लिए नियुक्त लोढ़ा समिति की सिफारिशें मानने को लेकर अनुराग ठाकुर के नेतृत्व वाली बीसीसीआई ने अब तक कड़ा रुख अख्तियार किया हुआ है।
समिति की ताजा सिफारिश बोर्ड के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है। समिति ने सोमवार को सौंपी अपनी स्टेटस रिपोर्ट में ‘बीसीसीआई के अधिकारियों द्वारा लगातार सिफारिशों को न मानने’ का भी जिक्र किया है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई में सुधार के लिए जनवरी, 2015 में रिटायर्ड चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा की अगुआई में समिति बनाई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में बीसीसीआ में कई बदलावों के सुझाव दिए हैं।
रिपोर्ट में कमेटी ने बीसीसीआई के कामकाज को पारदर्शी बनाने के लिए कई नई सिफारिशें की हैं। इसके पहले कमेटी ने सिफारिश की थी कि 70 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्ति को बीसीसीआई में शामिल नहीं किया जाए, साथ ही हर राज्य के पास एक ही वोट हो उससे ज्यादा नहीं हो।