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अब उनके लिए इस गोवंश का पेट भरने की जिम्मेदारी आ गई है। रजक ने आगे बताया कि इस गौवंश को चराने के लिए उन्होंने 6 जवानों को लगाया है। ये जवान सुबह 10:30 बजे इन मवेशियों को जंगल में लेकर जाते हैं और शाम 4:30 बजे लौटते हैं। उन्हें यह सब मजूबरी में करना पड़ रहा है, क्योंकि इतने मवेशियों के लिए चारे-भूसे का इंतजाम आसान नहीं है।
इन दिनों त्योहारों का मौसम है और पुलिस पर सुरक्षा की भी बड़ी अहम जिम्मेदारी है, गोटेगांव उन इलाकों में आता है जहां अपराध औसतन ज्यादा होते हैं। ऐसे में अपराधों की रोकथाम के साथ गोवंश को चराने की जिम्मदारी ने पुलिस की चुनौती बढ़ा दी है।
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