हाशिमपुरा कांड के पीड़ितों को जब आजम खान न्याय दिलाने के लिए धरना देने का सुझाव दे रहे थे तो आशु मलिक ने ही मोर्चा संभाला और पीड़ितों को ले जाकर सीएम से मिलवाया। उन्हें 5-5 लाख का मुआवजा दिलवाया। मेट्रो का वर्किंग मॉडल बनाने वाले शामली के अब्दुल शमद को भी सीएम तक पहुंचाने वाले आशु ही थे। दादरी बीफ कांड में पीड़ित इकलाख के परिवार को भी लखनऊ ले जाने की कमान मलिक ने ही संभाली थी। उनका बढ़ता कद देख आजम से उनके मतभेद की खबरें आम हो गई थीं। गाजियाबाद में हज हाउस के उद्घाटन के बाद आजम के खिलाफ आशु ने मोर्चा भी खोला था।
सीएम को खटका ‘औरंगजेब’
आम तौर पर मुलायम के खास माने जाने वाले आशु को अमर की वापसी के बाद उनके कैंप में गिना जाने लगा। बात तब बिगड़ी जब एक जगह सीएम का जिक्र औरंगजेब के तौर पर आया और उसमें आशु मलिक का हवाला था। सीएम ने इस मुद्दे को गांठ बांध लिया। रही-सही कसर चिट्ठी वॉर से पूरी हो गई। उदयवीर से लेकर रामगोपाल तक के जवाब में आशु मालिक ने खुल कर शिवपाल के पक्ष में बोला। यही वजह है कि जब मुलायम ने मंच से चिट्ठी का जिक्र किया तो अखिलेश गुस्से में आ गए। उन्होंने कहा कि अमर सिंह साजिश कर रहे हैं, आशु मलिक सब जानता है। आशु ने वहां भी मंच पर आने की गलती कर दी और सपा कुनबे की लड़ाई में नए खलनायक के तौर पर उभर गए।