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इस कोशिश के लिए सरकार को प्राइवेट कंपनियों से भी मदद मिल रही है। देश के टेलिकॉम मार्केट में हाल ही में प्रवेश करने वाली रिलायंस जियो और टाटा टेलीसर्विसेज जैसी टेलीकॉम कंपनियों के अलावा कई स्टार्टअप्स भी इसमें योगदान दे रहे हैं।
5G वायरलेस नेटवर्क्स की पांचवीं जेनरेशन है। इससे एंड यूजर्स को अधिक स्पीड मिलेगी और इसमें ड्राइवरलेस कारों और होम अप्लायंसेज जैसे कई डिवाइसेज को कनेक्ट करने की क्षमता होगी। यह एक लॉन्ग-टर्म प्रॉजेक्ट है। 5G स्टैंडर्ड्स के लिए बहुत से पेटेंट देने की कोशिश कर रहे हैं और इससे भारतीय इंडस्ट्री को काफी फायदा होगा। यह रिसर्च प्रोजेक्ट मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी ने सितंबर 2015 में तीन वर्ष में 36.51 करोड़ रुपये के खर्च के साथ शुरू किया था।
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