अब पालतू जानवरों में भी डायबिटीज और थाइरॉयड जैसी बीमारियां देखी जा रही हैं।मनुष्यों में डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं लेकिन रॉयल वेटनरी कॉलेज (आरवीसी) के डॉक्टर स्टिज्न निसेन का कहना है कि अब ये समस्या पालतू बिल्लियों में भी पाई जा रही है। वह बताते हैं कि 200 बिल्लियों में से एक को टाइप-2 डायबिटीज है। तीन दशक पहले 900 में से एक बिल्ली को ही ये समस्या हुआ करती थी। आरवीसी के मुताबिक ब्रिटेन में प्रत्येक 1000 कुत्तों में से तीन को डायबिटीज की समस्या है। कुत्ते और बिल्लियों के मालिकों ने अक्सर ये नोटिस किया कि उनके पालतू जानवर को लगातार प्यास लग रही है। वे बार-बार पेशाब कर रहे हैं और उनका वजन गिर रहा है।
बेचैन बिल्लियां जो एक जगह स्थिर से न बैठ सके, अच्छे खान-पान के बावजूद उनका वजन गिर रहा हो तो ये थायराइड की समस्या के लक्षण हैं।मनुष्यों को भी ये समस्या होती है। थायराइड ग्लैंड बढ़ने की सूरत में ज्यादा हार्मोंस बनने लगते है।थायराइड ज्यादा एक्टिव हो तो इसके इलाज के लिए बिल्ली को रेडियोऐक्टिव आयोडिन का इंजेक्शन लगाया जाता है।कुत्तों में थायराइड की समस्या थोड़ी अलग होती है। उनका थायराइड ग्लैंड से कम, हार्मोन बनाने लगता है।ब्रिटेन में 1000 में से चार कुत्तों में ये समस्या है। मनुष्यों की तरह ही जानवरों को थायराइड रीप्लेसमेंट थेरेपी दी जा सकती है।
अगर कुत्ते को सांस लेने में दिक्कत हो रही हो या फिर अचानक रुक गई हो तो उसे वियाग्रा दिया जा सकता है।सेक्स कर पाने में दिक्कत का सामना कर रहे पुरुषों को वियाग्रा से मदद करती है।वैज्ञानिक हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों पर वियाग्रा के इस्तेमाल की संभावनाओं का अध्ययन कर रहे हैं।अब जानवरों के डॉक्टर भी कुत्तो में हाई ब्लड प्रेशर के केस में इसका यूज कर रहे हैं।कई बार तो कुत्तों के मालिक डॉक्टर से ये पूछ रहे हैं कि क्या वे अपना वियाग्रा ही अपने पालतू जानवर को खिला दे।हालांकि वियाग्रा का लाइसेंस मनुष्यों और जानवरों के लिए अलग-अलग दिया गया है।