समाजवादी पार्टी में चल रही उथल-पुथल ने सबको हिला कर रखा है। हर कोई इस पार्टी की चर्चा कर रहा है। इसे अपने यूपी चुनाव के एजेंडे में इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन जहां दिल्ली के कांग्रेस नेताओं ने इसे एक ड्रामा सीरियल बताया और यूपी चुनाव के मद्देनजर अखिलेश यादव से गठबंधन की संभावनाओं को नकार दिया है, वहीं यूपी में कांग्रेस के अधिकतर विधायक सीएम अखिलेश के साथ गठबंधन के समर्थन में दिखाई दिए। कांग्रेस के अधिकतर विधायकों का कहना है कि अखिलेश यादव काफी पॉपुलर हैं, उनकी छवि साफ है और सांप्रदायिक ताकतों को हराने के लिए धर्म निरपेक्ष पार्टियों को एक साथ आने की जरूरत है। हमारे सहयोगी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने कांग्रेस के कई विधायकों से इस संबंध में बात की।
अखिलेश यादव और कांग्रेस दोनों का ही लक्ष्य एक ही है। दुश्मनों को हराना और खुद जीतना। अगर अखिलेश, कांग्रेस और रालोद एक साथ चुनाव लड़ते हैं तो देखना दिलचस्प होगा की कौन जीतेगा। कांग्रेस के पास 10-11 फीसदी वोट हैं। जिसके बाद हर कोई जीत की कयास लगाए हुए बैठा है। समाजवादी पार्टी का मतलब अब अखिलेश यादव हैं। सबको लगता है अगर सभी धर्म निरपेक्ष ताकत एक साथ आए तभी देश को बचाया जा सकता है। अखिलेश यादव के साथ गठबंधन होना मतलब जीत के करीब होना है।
अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो यह सबसे अच्छा रहेगा। लेकिन दूसरा विकल्प अखिलेश भी हैं, क्योंकि वह विधायकों की सुनते हैं और उन्होंने अपने क्षेत्र में काम भी किया है। कांग्रेस पार्टी को शत-प्रतिशत गठबंधन करना चाहिए, क्योंकि अखिलेश यादव यूपी का सबसे बड़ा चेहरा हैं और वही सरकार बनाएंगे। उनकी छवि साफ है। उनके पास गठबंधन करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। कांग्रेस को अखिलेश यादव के साथ जुड़ना चाहिए। यह दोनों पार्टियों के लिए फायदेमंद होगा सांप्रदायिक पार्टियों से आसानी से लड़ने के लिए। बिहार में भी यह सफल रहा था और यहां भी रहेगा।