बड़ा दिन से पहले यूपी में हो सकती है ये बड़ी घोषणा, राजनीतिक पार्टियों में हड़कम्प

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बड़ा दिन

नई दिल्लीः 25 दिसंबर के दिन बड़ा दिन मनाया जाता है , लेकिन यूपी की सियासत में इससे पहले भी बड़ा दिन मनाया जा सकता है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि यूपी-उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की डुगडुगी बड़ा दिन से पहले चुनाव आयोग पीट सकता है। डुगडुगी पिटते ही आचार संहिता लागू हो जाएगी। दरअसल नोटबंदी के बाद कैश की समस्या लंबा खिंचने से मोदी सरकार को जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ सकता है। यूपी के कई सांसदों ने अपने इलाके की जनता के मनोभाव से शीर्ष नेतृत्व को अवगत करा दिया है। कहा है कि चुनाव जितनी जल्दी हो जाए, ठीक है। नहीं तो कैश की किल्लत जितने दिन खिंचेगी, जनता का मूड उतना ही बिगड़ेगा। जिससे नोटबंदी का फैसला उल्टा पड़ जाएगा। इससे सहमी मोदी सरकार जल्द से जल्द उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में चुनाव निपटाने के मूड में है।

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इंडिया संवाद वेबसाइट की खबर के मुताबिक यूपी के पचास फीसद पार्टी सांसदों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर नोटबंदी का दुखड़ा रोया है। उनका कहना है कि जनता का पूरा दिन नोट बदलने और नए नोट निकालने में जा रहा है। बैंक के सामने या एटीएम की लाइन में लगे पूरा दिन बीत रहा है। अगर जनसंपर्क करने निकले तो कोई घर पर मिलता भी नहीं। रैली के आयोजन में भी भीड़ लाना मुसीबत हो गई है। हर आदमी जब लाइन में लगा है तो कहां से पिछड़ा वर्ग से लेकर परिवर्तन रैली में पहुंचे। दावे के मुताबिक कैश की किल्लत खत्म नहीं हो रही है। ऐसे में अगर चुनाव देरी से हुआ और कैश की समस्या बनी रही तो नोटबंदी की समर्थक जनता भी धैर्य खो देगी, जिससे पार्टी का चुनाव में हश्र बुरा हो सकता है।

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यूपी बोर्ड की ओर से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के परीक्षा कार्यक्रम जारी करने पर जिस तरह से चुनाव आयोग ने रोक लगाई है, उससे इस बात को बल मिल रहा कि सरकार फरवरी से लेकर मार्च तक चुनाव कराने को सोच रही है। चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा के शिक्षा बोर्ड को पहले ही पत्र जारी कर दिया है कि बोर्ड परीक्षा का कार्यक्रम बगैर चुनाव आयोग की अनुमति के न जारी किया जाए। क्योंकि बोर्ड परीक्षा और चुनाव एक साथ नहीं हो सकते। जिला प्रशासन के जिम्मे ही परीक्षा और चुनाव दोनों का संचालन होता है।
इधर अखिलेश सरकार को भी अच्छे से पता है कि मोदी सरकार जल्द से जल्द चुनाव कराने के मूड में है। यही वजह है कि 21 जनवरी को विधानमंडल सत्र शुरू होने के पहले ही दिन ही लाखों कर्मचारियों को सातवे वेतनमान का लाभ देने के कैबिनेट के फैसले को मंजूरी के लिए सदन के पटल पर रखा जाएगा। वहीं एक फरवरी को प्रदेश सरकार हर बार की तरह अपना बजट भी पेश करेगी।

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