जिस तरह साइकिल को लेकर एक ही पार्टी के दो गुट जंग की तैयारी में हैं, ऐसे में बहुत मुमकिन है कि साइकिल पर रोक ही लग जाए, आने वाले दिनों ने यदि प्रतिद्वंद्वी खेमों ने सपा के चुनाव चिह्न साइकिल पर अपना—अपना दावा किया तो विधानसभा चुनाव से पहले उसपर रोक लगने की पूरी आशंका है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व वाले एक समूह ने जरूरत के मुताबिक उन्हें पहले ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और विभिन्न प्रादेशिक ईकाइयों के गठन का अधिकार दे दिया है और इनकी सूचना शीघ्रातीशीघ्र चुनाव आयोग को भी देनी है। अखिलेश खेमे के सूत्रों का कहना है कि यदि मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाला समूह चुनाव आयोग के पास जाता है तो वे भी जाएंगे।
हालांकि, पर्यवेक्षकों का मानना है कि अखिलेश वाले धड़े को चुनाव चिह्न पर दावा करने के लिए चुनाव आयोग के पास जाना होगा क्योंकि आयोग के रिकार्ड में मुलायम सिंह यादव और अन्य पदाधिकारियों का नाम होगा।
अगर सइकिल पर अखिलेश दावा करते हैं, तो ऐसी स्थिति में आयोग को दूसरे पक्ष को नोटिस देना होगा और इसपर फैसला करने से पहले दोनों पक्षों को सुनना होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी स्थिति में यदि चुनाव आयोग किसी एक पक्ष को चिह्न देने के फैसले पर नहीं पहुंच पाता है तो वह इसपर रोक लगा सकता है ताकि चुनावों के दौरान किसी पक्ष को अतिरिक्त लाभ ना हो।