राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, “कई बार मायावती का वोट बैंक बहुत चौंकाता है। वजह ये है कि वो चुप रहता है। यही हाल अल्पसंख्यकों का भी है। अगर सपा पुराने स्वरुप में लड़ती तो भी एडवांटेज मायावती के पास था।” मायावती की प्लानिंग बहुत सॉलिड है। मीडिया उसे देख नहीं पाती है। मायावती अनौपचारिक तौर पर बहुत पहले से अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी थीं। उनके उम्मीदवारों को काफ़ी समय मिला है।
बीएसपी के उम्मीदवारों के चयन में जातिगत के साथ-साथ सामाजिक समीकरण को साधने की कोशिश साफ़ नज़र आती है। मायावती के मुताबिक़ उनकी पार्टी ने अनुसूचित जाति के 87, मुस्लिम समुदाय के 97, अन्य पिछड़ा वर्ग के 106 और 113 स्वर्ण उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं। मायावती का ख़ास ज़ोर मुस्लिम-दलित समीकरण को साधने पर है। वो कहती हैं, “मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में अकेले मुस्लिम और दलित वोट के साथ आने से बीएसपी उम्मीदवार चुनाव जीत जाएंगे।