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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गोद लिए इस गांव में महज दो स्कूल हैं। एक सरकारी और दूसरा आशा सामाजिक संस्थान के तहत चलने वाला प्राइवेट स्कूल। दोनों ही स्कूल कक्षा पांच तक ही हैं। आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को तीन किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। मास्टरजी ने बताया कि उनकी पीढ़ी के सभी लोग अनपढ़ हैं और नई पीढ़ी में भी रूपया में 10 पैसे लोग ही पढ़े लिखे हैं। यानि इस गांव में महज 10 फ़ीसदी लोग ही साक्षर हैं।
(खबर इनपुट- न्यूज़18.कॉम। मूल खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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