पिछले सप्ताह जब सपा और कांग्रेस के गठबंधन के बाद राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस की थी उस समय कांग्रेस उपाध्यक्ष ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक चिट दी। इसमें अखिलेश यादव से अमेठी और रायबरेली की विधानसभा सीटों पर चर्चा करने के बारे में लिखा था। गुलाम नबी आजाद ने तीन लाइन की यह चिट राहुल को दी थी। लेकिन राहुल से चिट लेने के बाद अखिलेश इसे जेब में रखने के बजाय वहीं टेबल पर ही छोड़ गए। एक स्थानीय पत्रकार के हाथ यह चिट लग गई जो बाद में खबर बन गई। इससे कांग्रेस को काफी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। पार्टी यह तय नहीं कर पा रही है कि अखिलेश यह गलती अनजाने में हुई या फिर उन्हों ने जान बूझकर ऐसा किया।
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कांग्रेस के व्यवहार से अखिलेश और उनके समर्थक नाखुश नजर आए। उनका कहना है कि कांग्रेस ने पूरे कार्यक्रम को हाईजैक कर लिया। राहुल गांधी ने इसमें बड़े भाई की तरह काम किया जबकि कांग्रेस गठबंधन में छोठी साझेदार है। सपा सरकार के काम की तारीफ करने के बजाय राहुल ने कहा कि उनके(अखिलेश यादव सरकार) के इरादे सही थे लेकिन यूपीए 2 के साथ उनकी कुछ कसर रह गई। जब राहुल से बसपा सुप्रीमो मायावती के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा कि वे उनकी काफी इज्जत करते हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष का यह जवाब भी सपा नेताओं को रास नहीं आया।
सपा ने यूपी चुनावों के लिए ‘काम बोलता है’ को अपने प्रचार की थीम बनाया है। वहीं कांग्रेस ने पहले ’27 साल यूपी बेहाल’ का नारा दिया था लेकिन गठबंधन के बाद उसने इसे छोड़ दिया। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान राहुल गांधी अपने नारे को लेकर भी स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। वे कई बार अटकते नजर आए। लेकिन अखिलेश ने इस तरह के सवालों को बेहतर तरह से संभाला।
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