यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी और कांग्रेस एक साथ लड़ सकते हैं। पिछले कई हफ्तों से दोनों पार्टियों के बीच इस गठबंधन और सीट बंटवारे को लेकर बातचीत का दौर जारी है और अब ये बातचीत अपने अंतिम दौर में पहुंच गई है।
खबरों को सच माने तो अब इस गठबंधन में सिर्फ औपचारिक घोषणा की कमी बाकी कही जा सकती है। यूपी की चुनावी सियासत में इस गठबंधन ने कई पुराने समीकरणों के तोड़ने के साथ नए समीकरणों के बनने के संकेत दे दिए हैं। दोनों दलों के भीतर गठबंधन पर चल रहे मंथन ने जिस तरह से एक दूसरे पर हमलावर रहने वाले नेताओं की जुबान में जो मिठास घोली है वह यूपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान भी नजर आ चुकी है। जिससे विरोधियों की चिंता बढ़नी लाजमी है। इस गठबंधन के बनने के बाद भाजपा की मुश्किलें सबसे ज्यादा बढ़ती नजर आ रहीं हैं।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट यानी सियासी पंडितों की मानें तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच बनता गठबंधन एक हद तक बीजेपी के खिलाफ एक ऐसे मोर्चे के रूप में खड़ा होगा, जिसे धर्मनिर्पेक्ष मोर्चे के रूप में देखा जाएगा। जिसे सीधे तौर पर हिन्दुत्ववादी राजनीति करने वाली भाजपा से खिलाफ पहली पसंद माना जाएगा। वहीं मुस्लिम मतदाताओं की पहली पसन्द के रूप में तेजी से उभरती बहुजन समाज पार्टी की कोशिशों को यह गठबंधन तगड़ा झटका दे सकता है।
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