उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार को बने दो सप्ताह हो चुके हैं लेकिन अभी तक कैबिनेट की बैठक नहीं हुई है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि यूपी चुनावों के दौरान मोदी के चुनाव प्रचार के दौरान किसानों के कर्ज को माफ करने के वादे को निभाने के लिए यह समय लिया जा रहा है। मोदी ने चुनाव प्रचार के समय कहा था कि भाजपा सरकार बनने पर कैबिनेट की पहली मीटिंग में कर्ज माफी का फैसला ले लिया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि कुछ अफसरों ने सुझाव दिया कि कैबिनेट अपनी मीटिंग में इस पर फैसला ले लें और फिर बाद में इस पर नीति बना ली जाए। लेकिन आदित्यनाथ ने कहा कि एक बार नीति बनने के बाद इस पर फैसला लिया जाए ताकि कोई अड़चन ना आए।
योगी के आदेश के बाद वरिष्ठ अफसरों ने इस योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में सभी लघु एवं सीमांत किसानों के कर्ज माफ करने का वादा किया था। राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया, ”इस तरह के निर्णय जल्दाबाजी में नहीं लिए जाते। मैं भरोसा दिलाता हूं कि फैसला जल्द ही लिया जाएगा और काफी सारे किसानों को इसका फायदा होगा।” कुछ जानकारों का कहना है कि कर्ज माफी का राज्य के राजकोष पर काफी वजन पड़ेगा और इसे एक वित्तीय वर्ष में वहन करना राज्य सरकार के बूते से बाहर है। सूत्रों के अनुसार, वित्त विभाग की गणना के अनुसार, यूपी में दो करोड़ छोटे और सीमान्त किसान हैं और इन पर लगभग 62 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है।
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