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इससे पहले एक जनवरी को मुलायम सिंह यादव ने दो आदेश जारी किए थे। पहले आदेश में उन्होंने सीएम अखिलेश यादव के अधिवेशन को असंवैधानिक करार दिया था। दूसरे लेटर में उन्होंने पार्टी के उपाध्यक्ष किरणमय नंद को इस अधिवेशन में जाने के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से बर्खास्त कर दिया था। कुछ घंटों के अंतराल में जारी हुए इन दो लेटर्स में मुलायम के दस्तखत मेल नहीं खाते। ऐसे में सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि इन दोनों में से असली सिग्नेचर कौन सा है? इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि क्या मुलायम की जगह कोई अन्य पार्टी से जुड़े फैसले ले रहा है?
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