उड़ी हमले के बाद भारत ने चेनाब नदी पर चलने वाले तीन प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी दे दी है। इससे पहले सिंधु जल समझौते के तहत पाकिस्तान की तरफ से आपत्ति जताए जाने के बाद इन प्रोजेक्ट्स को रोक दिया गया था। हालांकि पाकिस्तान का अफगानिस्तान के साथ इस तरह का कोई समझौता नहीं है। पूर्वी अफगानिस्तान की नदियों मुख्य तौर पर काबुल, कुन्नार और चित्रल के पाकिस्तान में गिरने का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य कुछ नियमों से जुड़ा है।
मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया,’नदियों पर इस तरह के प्रोजेक्ट्स को तैयार करने में अफगानिस्तान की मदद कर भारत पाकिस्तान को सख्त संदेश दे सकेगा। अफगानिस्तान द्वारा इस मसले पर बार-बार अनुरोध किए जाने के कारण पाकिस्तान पहले से ही इस मोर्चे पर काफी चिंतित है।’
सूत्रों के मुताबिक, अफगानी राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी पिछले महीने जब भारत दौरे पर आए थे, तो उन्होंने खास तौर पर अफगानिस्तान के पूर्वी हिस्से में नदी सिस्टम डिवेलप करने की संभावना का मुद्दा उठाया था। साथ ही, उन्होंने गंभीर आतंकी खतरों के बावजूद सलमा डैम प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए भारत को बधाई भी दी थी। अधिकारियों ने बताया कि इस मसले पर दोनों पक्ष संपर्क में हैं। साथ ही, कई प्रोजेक्ट्स पर चर्चा के लिए अधिकारी स्तर पर विचार-विमर्श भी चल रहा है। अफगानी राष्ट्रपति दिसंबर के पहले हफ्ते में फिर से भारत दौरा करेंगे। वह अमृतसर में होने वाले हार्ट ऑफ एशिया मिनिस्टीरियल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन करने यहां आएंगे। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी मौजूद रहने की संभावना है। अधिकारियों ने बताया कि अफगानिस्तान ने लंबे समय से यह बात कह रहा है कि सिंचाई की सही व्यवस्था होने से ननगरहर, पख्तिया और खोस्त जैसे उसके पूर्वी प्रातों की इकनॉमी पूरी तरह से बदल सकती है। ये इलाके फिलहाल आतंकी गतिविधियों के केंद्र हैं।
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