अफगानिस्तान में महत्वहीन होते हिन्दू और सिखों की हालत का इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि जहां पहले अफगानिस्तान में लाखों हिंदू और सिख परिवार फल फूल रहे थे वहीं अब धार्मिक कट्टरपंथ इतना बढ़ा गया कि अल्पसंखयकों का जीना दूभर हो गया। लाखों लोग अपने मुल्क के लिए पलायन कर गए। अब यहां महज़ मुट्ठी भर हिन्दू और सिख परिवार बचे हैं। इसी धार्मिक कट्टरपंथ के चलते आफगानिस्तान के आर्थिक हालत बदहाल हो चुके हैं और ये देश आर्थिक संकट से जूझने को मजबूर हो गया है।
नेशनल काउंसिल फॉर हिन्दू एंड सीख के चेयरमैन अवतार सिंह ने कहा की यहाँ हिंदू और सिखों के सिर्फ 220 परिवार बचे हैं जो बेहद चिंता की बात है। इसकी तुलना में 1992 में काबुल सरकार के गिरने से पहले यहां हिंदू और सिखों के करीब 220000 परिवार थे।