वे आगे कहते हैं, “फिर कोस्टारिका में मैंने बॉलीवुड की पांच छह फ़िल्में खरीदकर रिलीज़ कराईं। 2006 में मैंने लातिन अमरीका में अक्षय कुमार की फ़िल्म ‘गरम मसाला’ रिलीज़ की। मैं हरदम बॉलीवुड के नजदीक आना चाहता था। उस समय मैं 20 -25 लाख रुपये में फ़िल्में खरीदता था। यहां आमदनी होती थी 2 लाख से 3 लाख।”
प्रभाकर ने कहा, “फिर बात हुई बॉलीवुड के कुछ निर्देशकों से कि क्या हम किसी प्रोजेक्ट को बॉलीवुड के अंदाज़ में लातिन अमरीका में बना सकते हैं? अपने आइडिया को लेकर मैंने फिल्म डॉयरेक्टर जी विश्वनाथ को भी बुलाया। लेकिन हम नाकाम हो गए। इसके बाद मैंने यहां डब्ल्यू डब्ल्यू ई से जुड़े कुछ ईवेंट कराए। उनका नाम था मॉन्स्टर ट्रक ईवेंट। काफी बड़ा ईवेंट था। अमरीका से 48 पू्र्व चैंपियनों को बुलाया था। जो बाइक और ट्रक के जरिए प्रदर्शन करते थे।”
लेकिन पैसा बनाने की प्रभाकर की हर कोशिश नाकाम रही।
इस अनुभव के बारे में वे कहते हैं, “कोशिश यही थी कि किसी भी तरह से पैसा आए और बड़ी फ़िल्म बनाएं। मेरी कंपनी को इस ईवेंट में साल 2010 में भारतीय रुपयों में 3 से 4 करोड़ का घाटा हुआ। अपनी मेहनत से पैसा कमाना और ये काम करना विदेश में आसान नहीं है। लेकिन मैं लगा रहा। भारतीय खून जब खौलता है तो कहीं न कहीं कुछ न कुछ करता ही है।”