एक रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय कानूनों को नजरअंदाज कर चीन अब भी पाकिस्तान को परमाणु संयत्रों के निर्माण में तकनीकी रूप से मदद कर रहा है। रिपोर्ट की माने तो पाक की मदद कर चीन एनपीटी रिव्यू कॉन्फ्रेंस के नियमों की अवहेलना कर रहा है।
वाशिंगटन के आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा कि निर्यात पर नियंत्रण के लिए चीन ने पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय कदम उठाए हैं। हालांकि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) का उल्लंघन करके पाकिस्तान को परमाणु रिएक्टर बेचने और संबद्ध देशों को मिसाइल तकनीक बेचने का बीजिंग का निर्णय उसे विफल श्रेणी में लाता है। आपको बता दे कि पाकिस्तान न तो परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) का सदस्य है और न ही अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अभिकरण (आईएईए) की तरफ से उसके परमाणु संयंत्रों को एनओसी मिली है। ऐसे में चीन का पाकिस्तान को गैर कानूनी तरीके से मदद देना समझ से परे है।
दरअसल, 2010 में एनपीटी रिव्यू कान्फ्रेंस में चीन ने यह सहमति जताई थी कि किसी भी गैर एनपीटी सदस्य को परमाणु संयंत्र से जुड़ी तकनीक को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है। गैर एनपीटी भारत ने इस मुद्दे पर चीन के इस रुख पर नाराजगी जताई थी, वहीं चीन की मदद के लिए कई बार चीन से बातचीत भी जारी रही, मगर सियोल मीटिंग के बाद भी चीन समर्थन नहीं देने की बात पर अड़ा रहा।
पाकिस्तान के परमाणु संयंत्रों को तकनीक के हस्तांतरण पर चीन ने कहा कि पाकिस्तान के साथ उसने 2003 में समझौता किया था। जबकि वो 2004 में एनएसजी का सदस्य बना, लिहाजा वो किसी भी तरह एनपीटी या एनएसजी के नियमों का उल्लंघन नहीं कर रहा है। हालांकि चीन के इस बयान पर रिपोर्ट में ये कहा गया है कि पाकिस्तान के छह परमाणु संयंत्रों को तकनीक हस्तांतरण की पहले दो चास्मा रिएक्टरों को कर सकता है। शेष चार रिएक्टरों को वो कानूनन मदद नहीं कर सकता है।